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Keerti
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दिल में मेरे है दर्द-ए-डिस्को

कभी-कभी ऐसा लगता है कि दिल ने ठान लिया है,"भाई, तुम्हारी ज़िंदगी में सस्पेंस और कॉमेडी की कमी नहीं होनी चाहिए।" हाल ही में मेरे दिल ने कुछ ऐसा किया कि मैं समझ नहीं पाया कि ये दर्द है, डिस्को है, या दर्द-ए-डिस्को का नया वर्जन!

तो हुआ यूं कि एक शादी में गया था। बड़े-बड़े स्पीकर, डीजे वाले बाबू का साउंड और सामने लाइटें ऐसी कि एबीसीडी मूवी का सेट लग रहा था। मैंने सोचा, चलो थोड़ा डांस कर लेते हैं, आखिर दिल की धड़कन भी तो स्पीकर से मैच कर रही थी।

लेकिन जैसे ही मैंने स्टेज पर पैर रखा, मेरे जूते का तला इतना उत्साहित हो गया कि उसने मुझे झट से घुमा दिया। और मैं? सीधा फर्श पर। लोग बोले, “वाह! क्या मूव है!” और मैं अंदर से रोते हुए मुस्कुराया, "ये मूव नहीं, ग्रेविटी है!"

खैर, जैसे-तैसे उठकर फिर डांस किया। अब दर्द तो हो रहा था, लेकिन मैंने सोचा, "डिस्को का असली मज़ा तो दर्द के साथ ही आता है!" थोड़ी देर बाद, जब धड़कन ने भी कहा, “बस कर,” तो मैं किनारे पर आकर बैठ गया। तभी किसी ने पूछा, “भाई, इतना क्यों नाचे?”

मैंने कहा, “दिल में मेरे है दर्द-ए-डिस्को!”
उसने कहा, “दर्द-ए-डिस्को नहीं भाई, ये स्लिप-ए-डिस्क है!”

अब आप बताइए, मैं इसे दर्द कहूं, डिस्को कहूं, या शादी की भव्यता का असर? खैर, एक चीज़ पक्की है – अगली बार डिस्को फ्लोर पर पैर रखने से पहले जूते ज़रूर चेक करूंगा।

तो दोस्तों, अगर आपको भी कभी ऐसा दर्द महसूस हो, तो डॉक्टर से पहले डांस टीचर से मिलिए। आखिरकार, जिंदगी में हर दर्द-ए-डिस्को का इलाज है!

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